Tuesday, September 27, 2016
Saturday, September 24, 2016
पत्र सूचना कार्यालय (Press Information Beauro)
पत्र सूचना कार्यालय (Press Information Beauro / पीआईबी) भारत सरकार की नीतियों, कार्यक्रम पहल और उपलब्धियों के बारे में समाचार-पत्रों तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सूचना देने वाली प्रमुख एजेंसी है। यह प्रेस विज्ञप्तियों, प्रेस नोट, विशेष लेखों, संदर्भ सामग्री, प्रेस ब्रीफिंग, फोटोग्राफ, संवाददाता सम्मेलन, साक्षात्कार, प्रेस दौरे और कार्यालय की वेबसाइट के माध्यम से सूचना का सर्वत्र पहुंचाता है।
कार्यालय अपने मुख्यालय में विभागीय प्रचार अधिकारियों के माध्यम से कार्य करता है जो प्रेस विज्ञप्तियों और प्रेस सम्मेलनों आदि के जरिए मीडिया को सूचना के प्रसार में सहायता देने के प्रयोजन हेतु विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ संलग्न हैं। ये अधिकारी प्रचार गतिविधियों से संबंधित सभी मामलों पर सलाह भी देते हैं। ये संबंधित मंत्रालयों और विभागों को फीड बैक प्रदान करते हैं। विशेष सेवाओं के एक भाग के रूप में पत्र सूचना कार्यालय के फीडबैक प्रकोष्ठ द्वारा एक डेली डायजेस्ट तथा विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दैनिक समाचारपत्रों और पत्रिकाओं से समाचार कथाओं और संपादकीय के आधार पर विशेष डायजेस्ट तैयार किए जाते हैं।
इस कार्यालय की फीचर इकाई द्वारा पृष्ठभूमि जानकारी, अद्यतन जानकारी, सूचना के छोटे बिन्दु, विशेष लेख और ग्राफिक प्रदान किए जाते हैं, जिन्हें राष्ट्रीय नेटवर्क, इंटरनेट और साथ ही स्थानीय प्रेस में परिचालन हेतु अनुवाद के लिए क्षेत्रीय / शाखा कार्यालयों में परिचालित किया जाता है। यह इकाई सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों पर प्रकाश डालने के लिए विशेष लेख जारी करती है। यह इकाई फोटो लेख और पृष्ठभूमि जानकारियों सहित 200 से अधिक विशेष लेख औसतन हर वर्ष तैयार करती है। पत्र सूचना कार्यालय में पूरे वर्ष विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों का फोटो कवरेज किया जाता है तथा ये तस्वीरें राष्ट्रीय समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में भेजी जाती है।
पत्र सूचना कार्यालय द्वारा मुख्यालय में विदेशी मीडिया सहित मीडिया प्रतिनिधियों को प्रत्यायन (accreditation) प्रदान किया जाता है। लगभग 1425 संवाददाताओं और 430 कैमरा मैन/फोटोग्राफरों का प्रत्यायन किया गया है। कुल 150 तकनीशियनों तथा लगभग 76 संपादकों और मीडिया आलोचकों को प्रत्यायन दिया गया है।
पत्र सूचना कार्यालय का फीडबैक प्रकोष्ठ समाचार मदों और संपादकीय टिप्पणियों के आधार पर समाचारों और विचारों का एक दैनिक डायजेस्ट तैयार होता है, जिसे प्रिंट मीडिया में दर्शाया जाता है। यह डायजेस्ट प्रत्येक कार्य दिवस पर तैयार किया जाता है।
पत्र सूचना कार्यालय की वेबसाइट भारत के मध्यम और छोटे समाचार पत्रों के लिए सूचना का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिसे अधिक आकर्षक बनाने एवं नई विशेषताएं जोड़ने के लिए समीक्षित किया जाता है। पत्र सूचना कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सुझाए गए कुछ डिजाइन परिवर्तन शामिल किए गए थे। पत्र सूचना कार्यालय की 6 अलग अलग भाषाओं में 6 वेबसाइटें, जो हैं तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलुगु, बंगाली और मिज़ो भाषाएं।
इंट्रा पीआईबी, इंट्रानेट वेब पोर्टल को पत्र सूचना कार्यालय द्वारा नई विशेषताओं सहित सज्जित किया गया है जैसे पीआईबी क्लिपिंग सेवा, आंतरिक अनुप्रयोग के लिंक प्रदान करना जो हैं हार्डवेयर की शिकायतें, मासिक प्रगति प्रतिवेदन, वेतन पर्चियां, सूचनाएं, डाउनलोड फॉर्म।
BY- WIKIPEDIA
कार्यालय अपने मुख्यालय में विभागीय प्रचार अधिकारियों के माध्यम से कार्य करता है जो प्रेस विज्ञप्तियों और प्रेस सम्मेलनों आदि के जरिए मीडिया को सूचना के प्रसार में सहायता देने के प्रयोजन हेतु विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ संलग्न हैं। ये अधिकारी प्रचार गतिविधियों से संबंधित सभी मामलों पर सलाह भी देते हैं। ये संबंधित मंत्रालयों और विभागों को फीड बैक प्रदान करते हैं। विशेष सेवाओं के एक भाग के रूप में पत्र सूचना कार्यालय के फीडबैक प्रकोष्ठ द्वारा एक डेली डायजेस्ट तथा विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दैनिक समाचारपत्रों और पत्रिकाओं से समाचार कथाओं और संपादकीय के आधार पर विशेष डायजेस्ट तैयार किए जाते हैं।
इस कार्यालय की फीचर इकाई द्वारा पृष्ठभूमि जानकारी, अद्यतन जानकारी, सूचना के छोटे बिन्दु, विशेष लेख और ग्राफिक प्रदान किए जाते हैं, जिन्हें राष्ट्रीय नेटवर्क, इंटरनेट और साथ ही स्थानीय प्रेस में परिचालन हेतु अनुवाद के लिए क्षेत्रीय / शाखा कार्यालयों में परिचालित किया जाता है। यह इकाई सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों पर प्रकाश डालने के लिए विशेष लेख जारी करती है। यह इकाई फोटो लेख और पृष्ठभूमि जानकारियों सहित 200 से अधिक विशेष लेख औसतन हर वर्ष तैयार करती है। पत्र सूचना कार्यालय में पूरे वर्ष विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों का फोटो कवरेज किया जाता है तथा ये तस्वीरें राष्ट्रीय समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में भेजी जाती है।
पत्र सूचना कार्यालय द्वारा मुख्यालय में विदेशी मीडिया सहित मीडिया प्रतिनिधियों को प्रत्यायन (accreditation) प्रदान किया जाता है। लगभग 1425 संवाददाताओं और 430 कैमरा मैन/फोटोग्राफरों का प्रत्यायन किया गया है। कुल 150 तकनीशियनों तथा लगभग 76 संपादकों और मीडिया आलोचकों को प्रत्यायन दिया गया है।
पत्र सूचना कार्यालय का फीडबैक प्रकोष्ठ समाचार मदों और संपादकीय टिप्पणियों के आधार पर समाचारों और विचारों का एक दैनिक डायजेस्ट तैयार होता है, जिसे प्रिंट मीडिया में दर्शाया जाता है। यह डायजेस्ट प्रत्येक कार्य दिवस पर तैयार किया जाता है।
पत्र सूचना कार्यालय की वेबसाइट भारत के मध्यम और छोटे समाचार पत्रों के लिए सूचना का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिसे अधिक आकर्षक बनाने एवं नई विशेषताएं जोड़ने के लिए समीक्षित किया जाता है। पत्र सूचना कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सुझाए गए कुछ डिजाइन परिवर्तन शामिल किए गए थे। पत्र सूचना कार्यालय की 6 अलग अलग भाषाओं में 6 वेबसाइटें, जो हैं तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलुगु, बंगाली और मिज़ो भाषाएं।
इंट्रा पीआईबी, इंट्रानेट वेब पोर्टल को पत्र सूचना कार्यालय द्वारा नई विशेषताओं सहित सज्जित किया गया है जैसे पीआईबी क्लिपिंग सेवा, आंतरिक अनुप्रयोग के लिंक प्रदान करना जो हैं हार्डवेयर की शिकायतें, मासिक प्रगति प्रतिवेदन, वेतन पर्चियां, सूचनाएं, डाउनलोड फॉर्म।
BY- WIKIPEDIA
Thursday, September 22, 2016
आकाशवाणी
ऑल इंडिया रेडियो भारत की सरकारी रेडियो सेवा है। भारत में रेडियो प्रसारण की शुरूआत 1920 के दशक में हुई। पहला 1923 में मुंबई के रेडियो क्लब द्वारा प्रसारित किया गया। इसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता में निजी स्वामित्व वाले दो ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की स्थापना हुई। सन् 1930 में सरकार ने इन ट्रांसमीटरों को अपने नियंत्रण में ले लिया और भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से उन्हें परिचालित करना आरंभ कर दिया। 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा।
महानिदेशालय, आकाशवाणी प्रसार भारती के तहत कार्य करता है। प्रसार भारतीय मंडल संगठन की नीतियों के निर्धारण और कार्यान्वयन शीर्ष स्तर पर सुनिश्चित करता है और प्रसार भारती अधिनियम, 1990 के संदर्भ में अधिदेश को पूरा करता है। कार्यपालक सदस्य निगम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के रूप में मंडल के नियंत्रण और पर्यवेक्षण हेतु कार्य कारते हैं। सीईओ, सदस्य (वित्त) और सदस्य, (कार्मिक) प्रसार भारती मुख्यालय, द्वितीय तल, पीटीआई भवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001 से अपने कार्यों का निष्पादन करते हैं।
वित्त, प्रशासन और कार्मिकों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण नीतिगत मामले सीईओ के पास भेजे जाते हैं और आवश्यकतानुसार सदस्य (वित्त) और सदस्य (कार्मिक) के माध्यम से मंडल को भेजे जाते हैं, ताकि सलाह, प्रस्तावों का कार्यान्वयन और उन पर निर्णय लिए जा सके। प्रसार भारती सचिवालय में कार्यरत विभिन्न विषयों के अधिकारी सीईओ, सदस्य (वित्त) और सदस्य (कार्मिक) को कार्रवाई, प्रचालन, योजना और नीति कार्यान्वयन के समेकन में सहायता देते हैं और साथ ही निगम के बजट, लेखा और सामान्य वित्तीय मामलों की देखभाल करते हैं। प्रसार भारती में मुख्य सतर्कता अधिकारी के नेतृत्व में मुख्यालय के एक एकीकृत सतर्कता व्यवस्था भी है।
आकाशवाणी के महानिदेशालय का नेतृत्व महानिदेशक करते हैं। वे सीईओ सदस्य (वित्त) और सदस्य (कार्मिक) के सहयोग से आकाशवाणी के दैनिक मामलों का निपटान करते हैं। आकाशवाणी में मोटे तौर पर पांच अलग अलग विंग हैं जो विशिष्ट गतिविधियों के लिए उत्तरदायी हैं जैसे कार्यक्रम, अभियांत्रिकी, प्रशासन, वित्त और समाचार।
कार्यक्रम विंग
मुख्यालय में महानिदेशक की सहायता उप महानिदेशक करते हैं तथा स्टेशनों के बेहतर पर्यवेक्षण के लिए क्षेत्रों में उप महानिदेशक करते हैं, क्षेत्रीय उप महानिदेशक के कार्यालय कोलकाता (ईआर), मुम्बई और अहमदाबाद (डब्ल्यूआर), लखनऊ (सीआर-I), भोपाल (सीआर-II), गुवाहाटी (एनईआर), चेन्नई (एसआर-I), बंगलूर (एसआर-II), दिल्ली (एनआर-I) और चंडीगढ़ (एनआर-II) में स्थित हैं। अभियांत्रिक विंग
आकाशवाणी के तकनीकी मामलों के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता मुख्यालय में तैनात मुख्य अभियंता तथा इंजीनियर इन चीफ द्वारा और जोनल मुख्य अभियंताओं द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्त मुख्यालय में आकाशवाणी की विकास संबंधी योजनाओं के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता के लिए मुख्यालय में योजना और विकास इकाई है। सिविल निर्माण गतिविधियों के संदर्भ में महानिदेशक की सहायता सिविल निर्माण विंग द्वारा की जाती है, जिसका नेतृत्व मुख्य अभियंता करते हैं। दूरदर्शन की जरूरतों को भी सिविल निर्माण विंग पूरा करता है।
प्रशासनिक विंग
एक उपमहा निदेशक (प्रशासन) महानिदेशक को प्रशासन संबंधी सभी मामलों में सलाह देते हैं जबकि उप महानिदेशक (कार्यक्रम) कार्यक्रम कार्मिकों के प्रशासन में महानिदेशक को सहायता देते हैं। एक निदेशक आकाशवाणी के अभियांत्रिकी प्रशासन की देखभाल करते हैं जबकि एक अन्य निदेशक (प्रशासन और वित्त) प्रशासन तथा वित्त के मामलों में महानिदेशक की सहायता करते हैं। सुरक्षा विंग
आकाशवाणी की संस्थापनाओं, ट्रांसमीटरों, स्टूडियो, कार्यालयों आदि की सुरक्षा तथा निरापदता के साथ जुड़े मामलों पर महानिदेशक की सहायता एक उपमहानिदेशक (सुरक्षा), सहायक महा निदेशक (सुरक्षा) और एक उप निदेशक (सुरक्षा) करते हैं। श्रोता अनुसंधान विंग
आकाशवाणी को सभी स्टेशनों द्वारा कार्यक्रमों के प्रसारण पर श्रोता अनुसंधान के सर्वेक्षण करने के लिए महानिदेशक की सहायता निदेशक, श्रोता अनुसंधान करते हैं।
गतिविधियां
अलग अलग कार्यों के लिए अनेक अधीनस्थ कार्यालय हैं, जो नीचे दिए गए विवरण के अनुसार गतिविधियां करते हैं।
समाचार सेवा प्रभाग
समाचार सेवा प्रभाग 24 घण्टे कार्य करता है और यह स्वदेशी तथा बाह्य सेवाओं में 500 से अधिक समाचार बुलेटिन का प्रसारण करता है। ये बुलेटिन भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में होते हैं। इसका नेतृत्व महानिदेशक, समाचार सेवा करते हैं। यहां 44 क्षेत्रीय समाचार इकाइयां हैं। विदेशी सेवा प्रभाग
आकाशवाणी का विदेशी सेवा प्रभाग वॉइस ऑफ द नेशन के रूप में भारत के विषय मेंदुनिया के लिए एक विश्वसनीय समाचार स्रोत है। दुनिया में भारत के बढ़ते महत्व को देखते हुए आने वाले समय में विदेशी प्रसारण के लिए इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। आकाशवाणी का विदेशी सेवा प्रभाग 16 विदेशी भाषाओं और 11 भारतीय भाषाओं में एक दिन में लगभग 100 से अधिक देशों में 72 घण्टे की अवधि का प्रसारण करता है। ट्रांसक्रिप्शन और कार्यक्रम आदान प्रदान सेवा
यह सेवा स्टेशनों में कार्यक्रमों के आदान प्रदान, ध्वनि अभिलेखागार, निर्माण और रखरखाव तथा संगीत के दिग्गजों की महत्वपूर्ण रिकॉर्डिंग का वाणिज्यिक उपयोग करने का कार्य करती है। अनुसंधान विभाग
अनुसंधान विभाग के कार्यों में आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा आवश्यक उपकरण के अनुसंधान और विकास का कार्य, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से संबंधित छानबीन और स्टूडियो, सीमित उपयोग के लिए अनुसंधान और विकास उपकरण के प्रोटोटाइप मॉडलों का विकास, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के नेटवर्क में क्षेत्र परीक्षण। केन्द्रीय भण्डार कार्यालय
नई दिल्ली में स्थित केन्द्रीय भण्डार कार्यालय आकाशवाणी के स्टेशनों पर तकनीकी उपकरणों के रखरखाव के लिए आवश्यक अभियांत्रिकी भंडारों के प्रापण, भण्डारण और वितरण से संबंधित कार्य करता है। कर्मचारी प्रशिक्षण संस्थान (कार्यक्रम)
कर्मचारी प्रशिक्षण संस्थान (कार्यक्रम) को 1948 में निदेशालय के साथ आरंभ किया गया था और अब इसमें किंग्सवे कैम्प, दिल्ली और भुवनेश्वर से कार्य करने वाली दो मुख्य शाखाएं हैं। यह कार्यक्रम कार्मिकों और प्रशासनिक कर्मचारियों को सेवाकालीन प्रशिक्षण देता है और यह नए भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए प्रेरण पाठ्यक्रम और अल्पावधि पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित करता है। यह प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए परीक्षा का आयोजन करता है। इसके अतिरिक्त हैदराबाद, शिलांग, लखनऊ, अहमदाबाद और तिरुवनंपुरम में स्थित पांच क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान कार्यरत हैं। कर्मचारी प्रशिक्षण संस्थान (तकनीकी)
निदेशालय का एक भाग कर्मचारी प्रशिक्षण संस्थान (तकनीकी) 1985 में बनाया गया और तब से यह किंग्सवे कैम्प, दिल्ली से कार्य करता है। संस्थान द्वारा आकाशवाणी और दूरदर्शन के अभियांत्रिकी कर्मचारियों के लिए तकनीशियन से लेकर अधीक्षण अभियंता तक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का आयोजन करता है। यह विभागीय अर्हकारी और प्रतिस्पर्द्धा परीक्षाओं का आयोजन भी करता है। भुवनेश्वर में एक क्षेत्रीय कर्मचारी प्रशिक्षण संस्थान (तकनीकी) है। सीबीएस केन्द्र और विविध भारती
यहां 40 विविध भारतीय और वाणिज्यिक प्रसारण सेवा (सीबीएस) केन्द्रों के साथ 3 विशिष्ट वीबी केन्द्र हैं। सीबीएस से संबंधित कार्य दो विंग में किया जाता है अर्थात बिक्री और निर्माण। केन्द्रीय बिक्री इकाई के नाम से ज्ञात एक पृथक स्वतंत्र कार्यालय 15 मुख्य सीबीएस केन्द्रों के साथ प्रसारण समय के विपणन की देखभाल करता है। वाराणसी और कोच्चि में दो और विविध भारती केन्द्र हैं। रेडियो स्टेशन
वर्तमान में 231 रेडियो स्टेशन हैं। इनमें से प्रत्येक रेडियो स्टेशन आकाशवाणी के अधीनस्थ कार्यालय के रूप में कार्य करता है। उच्चशक्ति वाले ट्रांसमिटर
आकाशवाणी की विदेश, स्वदेशी और समाचार सेवाओं के प्रसारण के लिए 8 बृहत वायवीय प्रणालियों सहित शॉर्ट वेव/मीडियम वेव ट्रांसमीटर के साथ सज्जित उच्च शक्ति वाले ट्रांसमीटर हैं। इन केन्द्रों का मुख्य कार्य आस पास के स्टेशनों पर बनाए गए कार्यक्रमों का प्रसारण करना साथ ही दिल्ली के स्टूडियो से प्रसारण करना है। नेटवर्क और कवरेज की वृद्धि
स्वतंत्रता के समय से आकाशवाणी दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण नेटवर्कों में से एक बन गया है। स्वतंत्रता के समय भारत में 6 रेडियो स्टेशन और 18 ट्रांसमीटर थे, जिनसे 11% आबादी और देश का 2.5 % भाग कवर होता है। दिसम्बर, 2007 इस नेटवर्क में 231 स्टेशन और 373 ट्रांसमीटर हैं जो देश की 99.14% आबादी और 91.79% क्षेत्रफल तक पहुंचता है।
By-Wikipedia
दूरदर्शन का इतिहास
दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्मक आधार पर आधे घण्टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया। उस समय दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था। तब इसको ‘टेलीविजन इंडिया’ नाम दिया गया था बाद में 1975 में इसका हिन्दी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया। यह दूरदर्शन नाम इतना लोकप्रिय हुआ कि टीवी का हिंदी पर्याय बन गया।
शुरुआती दिनों में दिल्ली भर में 18 टेलीविजन सेट लगे थे और एक बड़ा ट्रांसमीटर लगा था। तब दिल्ली में लोग इसको कुतुहल और आश्चर्य के साथ देखते थे। इसके बाद दूरदर्शन ने धीरे धीरेअपने पैर पसारे और दिल्ली (1965); मुम्बई (1972); कोलकाता (1975), चेन्नई (1975) में इसके प्रसारण की शुरुआत हुई। शुरुआत में तो दूरदर्शन यानी टीवी दिल्ली और आसपास के कुछ क्षेत्रों में ही देखा जाता था। दूरदर्शन को देश भर के शहरों में पहुँचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई और इसकी वजह थी 1982 में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एशियाई खेल थे। एशियाई खेलों के दिल्ली में होने का एक लाभ यह भी मिला कि श्वेत और श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया था। फिर दूरदर्शन पर शुरु हुआ पारिवारिक कार्यक्रम हम लोग जिसने लोकप्रियता के तमाम रेकॉर्ड तोड़ दिए। 1984 में देश के गाँव-गाँव में दूरदर्शन पहुँचानेके लिए देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया। इसके बाद आया भारत और पाकिस्तान के विभाजन की कहानी पर बना बुनियाद जिसने विभाजन की त्रासदी को उस दौर की पीढ़ी से परिचित कराया। इस धारावाहिक के सभी किरदार आलोक नाथ (मास्टर जी), अनीता कंवर (लाजो जी), विनोद नागपाल, दिव्या सेठ घर घर में लोकप्रिय हो चुके थे। फिर तो एक के बाद एक बेहतरीन और शानदार धारवाहिकों ने दूरदर्शन को घर घर में पहचान दे दी। दूरदर्शन पर 1980 के दशक में प्रसारित होने वाले मालगुडी डेज़, ये जो है जिन्दगी, रजनी, ही मैन, वाहः जनाब, तमस, बुधवार और शुक्रवार को 8 बजे दिखाया जाने वाला फिल्मी गानों पर आधारित चित्रहार, भारत एक खोज, व्योमकेश बक्शी, विक्रम बैताल, टर्निंग प्वाइंट, अलिफ लैला, शाहरुख़ खान की फौजी, रामायण, महाभारत, देख भाई देख ने देश भर में अपना एक खास दर्शक वर्ग ही नहीं तैयार कर लिया था बल्कि गैर हिन्दी भाषी राज्यों में भी इन धारवाहिकों को ज़बर्दस्त लोकप्रियता मिली।
रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिकों ने तो सफलता के तमाम कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए थे, 1986 में शुरु हुए रामायण और इसके बाद शुरु हुए महाभारत के प्रसारण के दौरान रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था और लोग अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से लेकर अपनी यात्रा तक इस समय पर नहीं करते थे। रामायण की लोकप्रियता का आलम तो ये था कि लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके अगरबत्ती और दीपक जलाकर रामायण का इंतजार करते थे और एपिसोड के खत्म होने पर बकायदा प्रसाद बाँटी जाती थी।
शुरुआती दिनों में दिल्ली भर में 18 टेलीविजन सेट लगे थे और एक बड़ा ट्रांसमीटर लगा था। तब दिल्ली में लोग इसको कुतुहल और आश्चर्य के साथ देखते थे। इसके बाद दूरदर्शन ने धीरे धीरेअपने पैर पसारे और दिल्ली (1965); मुम्बई (1972); कोलकाता (1975), चेन्नई (1975) में इसके प्रसारण की शुरुआत हुई। शुरुआत में तो दूरदर्शन यानी टीवी दिल्ली और आसपास के कुछ क्षेत्रों में ही देखा जाता था। दूरदर्शन को देश भर के शहरों में पहुँचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई और इसकी वजह थी 1982 में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एशियाई खेल थे। एशियाई खेलों के दिल्ली में होने का एक लाभ यह भी मिला कि श्वेत और श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया था। फिर दूरदर्शन पर शुरु हुआ पारिवारिक कार्यक्रम हम लोग जिसने लोकप्रियता के तमाम रेकॉर्ड तोड़ दिए। 1984 में देश के गाँव-गाँव में दूरदर्शन पहुँचानेके लिए देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया। इसके बाद आया भारत और पाकिस्तान के विभाजन की कहानी पर बना बुनियाद जिसने विभाजन की त्रासदी को उस दौर की पीढ़ी से परिचित कराया। इस धारावाहिक के सभी किरदार आलोक नाथ (मास्टर जी), अनीता कंवर (लाजो जी), विनोद नागपाल, दिव्या सेठ घर घर में लोकप्रिय हो चुके थे। फिर तो एक के बाद एक बेहतरीन और शानदार धारवाहिकों ने दूरदर्शन को घर घर में पहचान दे दी। दूरदर्शन पर 1980 के दशक में प्रसारित होने वाले मालगुडी डेज़, ये जो है जिन्दगी, रजनी, ही मैन, वाहः जनाब, तमस, बुधवार और शुक्रवार को 8 बजे दिखाया जाने वाला फिल्मी गानों पर आधारित चित्रहार, भारत एक खोज, व्योमकेश बक्शी, विक्रम बैताल, टर्निंग प्वाइंट, अलिफ लैला, शाहरुख़ खान की फौजी, रामायण, महाभारत, देख भाई देख ने देश भर में अपना एक खास दर्शक वर्ग ही नहीं तैयार कर लिया था बल्कि गैर हिन्दी भाषी राज्यों में भी इन धारवाहिकों को ज़बर्दस्त लोकप्रियता मिली।
रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिकों ने तो सफलता के तमाम कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए थे, 1986 में शुरु हुए रामायण और इसके बाद शुरु हुए महाभारत के प्रसारण के दौरान रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था और लोग अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से लेकर अपनी यात्रा तक इस समय पर नहीं करते थे। रामायण की लोकप्रियता का आलम तो ये था कि लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके अगरबत्ती और दीपक जलाकर रामायण का इंतजार करते थे और एपिसोड के खत्म होने पर बकायदा प्रसाद बाँटी जाती थी।
दूरदर्शन की यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव
- दिल्ली (9 अगस्त 1984), मुम्बई (1 मई 1985), चेन्नई (19 नवम्बर 1987), कोलकात्ता (1 जुलाई 1988)
- 26 जनवरी 1993: मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग
- 14 मार्च 1995: अंतर्राष्ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत
- 23 नवम्बर 1997 : प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम)
- 18 मार्च 1999: खेल चैनल डीडी स्पोर्ट्स की शुरूआत
- 26 जनवरी 2002: संवर्धन/सांस्कृतिक चैनल की शुरूआत
- 3 नवम्बर 2002 : 24 घण्टे के समाचार चैनल डीडी न्यूज की शुरूआत
16 दिसम्बर 2004 : निशुल्क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्ट की शुरूआत
by- Wikipedia
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